बेगम नुसरत की कहानी | begam nusarat Ki Kahani | Hindi Kahaniyan - Kahaniyan in
बेगम नुसरत की कहानी | Kahaniyan in Hindi | Hindi Kahaniyan
यह कहानी है नुसरत बेगम की जो एक दिन भैंस का दूध निकालने के लिए बैठी हुई थी, और इतने में ही उनके मुंह से जोरो की डकार निकल गई। आवाज ऐसी थी मानो की कोई पटाखा फूटा हो। इसके बाद उन्होंने सोचा, "अब मैं क्या करूं? इस भैंस ने मेरी डकार सुन ली होगी| अब यह ग्वाले से कह देगी। और मेरी भारी बेज्जती हो जाएगी। अब मैं क्या करूं?"
उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। फिर वह कुछ सोच कर भैंस के आगे जाकर हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और भैंस से बोली, "मेरी प्यारी काली माता वो डकार वाली बात किसी से कहेंगी तो नहीं"
तभी भैंस के कान पर मख्खी आकर बैठ गई और भैंस अपना सिर हिलाना शुरू कर दिया तो बेगम समझी, भैंस कह रही हैं, "हां हां मैं बताऊंगी" अब उन्होंने सोचा कि अब तो भैंस ग्वाले को सारी बात बता देगी और ग्वाला गांव भर के लोगों को।
बेगम नुसरत घर में आकर सिर पकड़ कर बैठ गई थोड़ी देर बाद उनके पति घर आए और अपनी बीवी को एक कोने में बैठे देखा तो पूछा क्या हुआ बेगम? क्यों रो रही हो इतना आखिर बात क्या है?
बेगम ने सारा किस्सा सुनाया। फिर बोली,"मैंने भैंस को बहुत समझाया लेकिन वह मानती ही नहीं। वह कह देगी ग्वाले से और ग्वाला सारे गांव से। मैं गांव वालों से अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह पाऊंगी।"
इस पर बेगम के पति ने कहा, "यह सिर्फ आपकी नहीं, मेरी भी इज्जत का सवाल है। डूब मरने की नौबत हमारी भाई आएगी। चलो बेगम नुसरत! आज की रात हम यह गांव छोड़कर कहीं दूसरे गांव में चले जायेंगे।"
जब रात हो गई तब दोनो ने बैल गाड़ी पर अपना सामान चढ़ाया और निकाल पड़े दूसरे गांव की तरफ। अभी तक वी गांव के सीवान तक ही पहुंचे थे कि गांव के चौकीदार ने उन्हें डेक लिया और पुकारा, "गाड़ी में कौन है?"
बेगम के पति ने कहा"में सफीतुल्ला तुफैल अली दमकावला।"
चौकीदार ने फिर पूछा, "लेकिन आप लोग इतनी रात को कहा जा रहे हो?"
वह बोला, "अब हम अपको क्या बताएं? हमारे ऊपर तो आफत आन पड़ी है" चौकीदार ने सच्चाई जानना चाही तो सफीतुल्ला ने उन्हें सारी बात विस्तार से बताई औैर पूछा, "आप ही बताओ, हम क्या करे?"
चौकीदारी मुस्कुरा कर कहा,"ये तो बड़ा आसान है, मैं मुखिया जी से गुजारिश कर कर मनाही करा देता हूं, कि कोई भी आदमी इस बारे में कुछ ना कहे।"
अगले दिन चौकीदार ने मुखिया के पास जाकर गुजारिश कि औैर मुकिया ने गांव डिंडोरा पिटवा दिया, "बेगम नुसरत का यह राज की उसने धड़ाम से डकार मारी थी, कोई किसी से नहीं कहेगा।
एक टिप्पणी भेजें