मली की सफलता की कहानी | mali ki safalata Ki Kahani | Hindi Kahaniyan - Kahaniyan in
मली की सफलता की कहानी | Hindi Kahaniyan - Kahaniyan in
रामगढ़ नाम के एक गांव में एक माली रहता था। वह पूरे दिन पौधों की देखभाल किया करता था। उसके घर में उसके माता पिता उसके साथ रहते थे। वे बड़े हो चुके थे। और वह अपने माता-पिता का अच्छे से ख्याल रखता था। उसने कम उम्र में ही अपनी पढ़ाई को छोड़कर काम करना शुरू कर दिया था।
1 दिन उसकी मां बोलती हैं," अरे बेटा रवि हमारे लिए तुम इतना कुछ कर रहे हो। हम हैं कि कुछ कर ही नहीं पा रहे।"
रवि बोलता है," अरे मां आप ऐसा क्यों बोल रही हो। आप दोनों मेरे साथ हैं यह मेरे लिए कम है।"
मा बोलती है,"बहोट तरक्की करो मेरे लाल"
एक दिन रवि बग में काम कर रहा था। तभी उस का मालिक वहा आया। और बोला," अरे वाह रवि ये बैग तो तुमने बहुत अच्छी तैयार कर ली है। क्यों ना हम इसमें और पौधे लगा दे? जिससे बाग और खूबसूरत लगे।
रवि बोला," जैसा आप कहें मालिक।"
फिर मालिक बोला," ये लो पैसे और तुम्हारे हिसाब से जो अच्छा फूल और फल के पौधे लगे उस मगकर लगा लेना।"
रवि पैसे लेकर बोलता है," जी मालिक मै कल ही लेकर आऊंगा।"
अगले दिन रवि दुकान पे फूलों और फलों के पौधों को लेने गया और दुकानदार से बोला," अरे भाई ये पौधे इतने महंगे क्यों दिए।"
दुकानदार बोला,"अरे महंगे कहा, बाहर भी यही रेट सुरु है। तुमको लेना है तो को।"
रवि बोला," क्या जमाना है, चीजों दाम तो आसमान छू रहे है।"
रवि वो पौधे खरीद कर लाया और बाद में उसे बैग में लगा दिया। वह अपना काम करके बैठा है था कि, तभी उसके में में एक कल्पना अयी," ये लोग कितने महंगे पौधे बेचते है। अगर इन्हें घर में बनाया तो इतने पैसे नहीं लगेंगे।
सम को रवि अपना कम ख़तम कर कर घर चला गया। उसके पिता जी आंगन में बैठे हुए थे।
पिता जी बोले," अरे बेटा आज जल्दी आ गए लगता है जल्दी काम ख़तम हो गया।"
रवि बोला," हा पिता जी, आज जल्दी काम ख़तम हो गया और इसी वजह से में जल्दी घर आ गया।"
पिता जी बोले," काम कैसा चल रहा है?"
रवि बोला," काम अच्छा चल रहा है, पिता जी आज मैं दुकान पर पौधे खरीदने गया था। उस पौधे वाले ने बहुत महंगे पौधे बेचे। जैसे की वह कोई खाने की चीज बेच रहा हो।"
पिता जी बोले," अरे बेटा आजकल सभी चीजों के दाम बढ़ गए है, हमारी दवाई से लेकर खाने की चीजों तक। तो पौधों के दाम कैसे काम होंगे?"
रवि बोला," हा पिताजी, इस समय कुछ भी सस्ता नहीं मिलता।"
फिर पिता जी बोले," अरे बेटा तुम्हारे हाथो में तो जादू है, क्यों ना तू ही पौधों के कलम बनाओ?"
रवि बोला," विचार तो अच्छा हैमैन सोचता हूं।"
पूरी रात रवि अपने पिताजी के बात पर विचार करता रहता है। अगली सुबह जल्दी से उठ कर बाहर निकालता है। तभी उसके पिताजी पूछते है," अरे रही इतनी सुबह सुबह कहा जा रहे हो।"
रवि बोला," पिताजी अपने जो कल जो बात कही है ना उसी पे अमल करने जा रहा हूं।"
इसके बाद रवि बहुत सारी मिट्टी लेकर आया। उसके बाद दुकान में जाकर दुकान पे जाकर फूलों और फलों के बिजो के लिए अच्छे खद खरीदा। और ये सब लेकर घर में रख दिया और काम पे चला गया। अपना काम जल्दी ख़तम करके वह जल्दी घर आता है। और घर आते ही वह उन पौधों के कलम बनाने में जुट जाता है।
यह सब देखकर रवि की मा बोलती है," ये तुम क्या कर रहे हो, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।
फिर रवि बोलता है," अरे मा में पौधों के कलम तैयार करूंगा और उन्हें बेचूंगा जिससे मुशेकुच पैसे मिल जाएंगे।"
रवि की मा बोलती है," अच्छा विचार है रवि अगर मेरी मदद जरूरत हो तो मुझे बताना।"
रवि बोला," हा मा जरूर"
कुछ ही दिनों में रवि ने खुद के लगभग सौ पौधो तैयार कर लिए। वो पौधे बहुत ही अच्छे दिख रहे थे। उनमें फूल अना सुरु हो गया था। हर रोज की तरह रवि अपने बाग में काम कर रहा था। तभी बाग की मालकिन वहा आयी और बोली," अरे रवि, हमारे बगीचे में गुलाब के फूल कुछ कम है। बाजार जाओ और अच्छी गुलाब की कलम लेकर आओ, ये को पैसे।"
रवि बोला," मालकिन जी मैंने खुद कुछ गुलाब के फूल की कलामे बनाई है। अगर में उनमें से कुछ कल्मे लेकर आऊ तो आपको चलेगा?"
मालकिन बोली," अरे वाह, तुमको कलम भी बनाने आता है रवि ये तो बहुत अच्छी बात है। जाओ और लेकर आओ कलम।"
रवि बोला," जी मालकिन, कल ही लेकर अता हूं।"
रवि खुशी खुशी घर जाता है और ये खबर अपनी मा को सुनता है," अरे मा, मालकिन ने मेरी गुलाब की कलमे लाने को बोला है।"
मा बोली," अरे वाह बेटा, ऐसे ही तरक्की करते रहो।"
अगले दिन जब वह अपनी गुलाब की kalame लेकर जाता है तो मालिक और मालकिन उन कलमो को देखकर बहुत खुश होते है और बोलते है," अरे वाह रवि तुम्हारी कलमे तो बहुत अच्छी है और ये कितना खिल रहे है।"
फिर रवि उन कालमो को लगा देता है। कुछ दिन बाद वे कलमे बड़ी हो जाती है और खूब देखने में अच्छी लगती है। वहा से गुजरने वाले लोग खूब प्रशंसा करते।
एक दिन मालिक के घर एक पार्टी होती है जिनमे बड़े बड़े लोग आए हुए होते है। वे लोग उन फूलों को देखकर कहते है," ये किसने कलमे लगाया है। बहुत अच्छे लग रहे है। और उन लोगो ने भी ऐसे पैसे लगने का सोचा।
फिर मालिक ने रवि को बुलाया और कहा," रवि, ये लोग भी ऐसे ही पौधे लगवाना चाहते है ये सारे मेरे दोस्त है।इनके घर में भी ऐसे खूबसूरत खलम देकर आना। उनका पता तुम नोट कर लो।"
रवि बोलता है," जी मालिक।"
रवि पता नोट कर लेता है और अगले दिन वह जरूरत के कलम लेकर चला जाता है। और बोलता है," रमेश जी आपको कलम चाहिए थे ना।
रमेश," अरे हा हा.. यह लगादो कलम। बहुत खूबसूरत है ये कलम।
रवि बोला," जी धन्यवाद साहब"
रमेश बोले,"ये लो तुम्हारे पैसे"
ऐसे ही रवि अभी लोगो के खर जाकर कलम बेच आता है। अगले दिन वह काम पे जाता है। तो मालिक पूछते है," अरे रवि तुम मेरे दोस्त के यह कलम देकर आए क्या?"
रवि बोला," हा मालिक, मैंने अने कलम से दिए। और वो उन्हें बहुत पसंद आया। ये सब बस आप के बदौलत है।"
मालिक बोले," अरे ये मेरी बदौलत नहीं ये सब तुम्हारे मेहनत की वजह से हुआ है।"
काम काम करने के बाद रवि खुशी खुशी अपने घर जाता है। और घर जाकर अपने माता पिता से कहता है," मा, पिताजी आज मुझे अपने पौधो की वजह से पहचान मिली है।
मा बोलती है,"क्या हुआ, तुम्हारी सारी कलमे बिक गई बेटा।"
रवि बोला," हा मा मेरी साली बनाई हुई कलमे बिक गई। और वो भी बहुत अच्छे दमो में।"
पिताजी बोले," ये तो बहुत खुशी की बात है।ऐसे ही तरक्की करो"
इस तरह रवि के बनाए हुए कलम बहुत मशहूर हो गए और वो अपने काम के साथ साथ अपना व्यापार भी करने लगा।
शिक्षा :- इस कहानी से हमें यह सीखा मिलती है कि जिंदगी में हमेशा नए नए प्रयोग करते रहने चाहिए ना जाने कौन सा प्रयास हमें सफल बना दे।

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