नकलची पड़ोसन की कहानी | Nakalachi Padosan Ki Kahani | Hindi Kahaniyan - Kahaniyan in

नकलची पड़ोसन की कहानी | Kahaniyan in Hindi | Hindi Kahaniyan

नकलची पड़ोसन 
अंकिता की पड़ोसन स्वेता उसकी हर चीज की नकल करती थी।
एक दिन,  स्वेता मिठाई लेकर अंकिता के घर जाती है।
अंकिता बोलती हैं, " क्या हुआ स्वेता कैसे आना हुआ।
स्वेता बोलती है,"मेरे घर में तो एसी लगा है, इसीलिए मिठाई लेकर आई हूं। 
अंकिता बोलती है," अरे यार इससे तो ज्यादा बिजली का बिल आता होगा ना।"
स्वेता बोलती है," लेकिन क्या करें गर्मी इतनी पड़ रही है ना" 
अंकिता बोलती है,"मैं तो यह कूलर लेकर आए हैं दाम तो इसका महंगा है पर बिजली का बिल कमा आता है। और ये मार्केट में नए ब्रांड का भी है।"
और यही कहकर अंकिता स्वेता की ही मिठाई उसे ही खिला देती है। और बोलती है," अब ये मिठाई तू कूलर की खुशी में खा।"
स्वेता घर आ जाती है और अपने पति से कहती है,"ए जी, मुझे ये एसी नहीं कूलर चाहिए वो भी उस कंपनी का जो अंकिता के घर में लगा है"
पति बोलता है,"पागल हो गई हो क्या सब एसी लगवाते है और तुम कूलर की बात कर रही हो"
स्वेता बोलती है,"कूलर को तो हम कहीं भी ले जा सकते है और बिजली का बिल भी कम आता है," तुम अपना मुंह बंद रखो"
इसके बाद स्वेता नाराज हो जाती है और ना चाहते हुए भी पति को अपना नया एसी सेलिंग साइट पे डालना पड़ता है"


अगले दिन 
स्वेता अंकिता के खर जाती है और बोलती है,"अरे अंकिता ले मिठाई खा" और आस पास देखर कर बोलती है," अरे वाह तेरा खर तो सिमला की तरह एकदम ठंडा हैलेकिन अब हमारे खर में ऐसी ही डंडी फैलेगी क्युकी मैंने भी तेरे ब्रांड वाला कूलर ले लिया है। लेकिन तेरा कूलर दिख नहीं रहा।"
अंकिता बोलती है,"अरे यार कूलर से ना गर्मी कम ही नहीं हो रही थी। बजट तो था नहीं लेकिन कोई बेवकूफ नया एसी कूलर के दाम पे बेच रहा था इसलिए मैंने ले ली। वो देख एसी"

स्वेता बोलती है,"अरे तू तो बोलती थी कि कूलर ठीक रहता है एसी से ज्यादा भिल आता है"
अंकिता बोलती है,"अरे यार दो महीने की तो गर्मी है बिजली के लिए कहीं और से बचत कर लूंगी लेकिन दिल्ली में तो सिमला की फीलिंग भी तो ले रही हूं ना।
स्वेता की ही मिठाई खिला कर उससे बोलती है,"ले अब तू मिठाई खा मेरे एसी के लिए।"


स्वेता को अंकिता की नकल करना महंगा पड़ता है पर कहते ह नाै आदत तो आदत ही होती है जल्दी नहीं बदलती।

एक दिन
1 दिन स्वेता अंकिता के घर जाती है और देखिए कि अंकिता ने सूट पहना है यह देखकर वह बोलती है, " वाह अंकिता बहुत ही प्यारा सूट है कहां से लिया।"
अंकिता बोलती हैं," अरे यार यह तो मेरी सास के अमानत है उनकी साड़ी, साड़ी मै नहीं पहन पाती थी इसीलिए सोचा की साड़ी की सूट ही बनवा लू, कम से कम मम्मी जी को ये तो तसल्ली रहेगी की मैंने उनके साड़ी को यू ही रख कर खराब तो नहीं किया।"
अब क्या स्वेता भी अब साड़ी से सूट बनवाने की जिद पकड़ लेती है।

अब स्वेता घर आ जाती है और घर के अलमारी में साड़ी खोजने लगती है। और वह साड़ी लेकर बोलती है,"अरे ये रही साड़ी मम्मी जी की ना सही मेरी तो है।"
तभी उतने में उसका पति वाह आ जाता है और बोलता है," ये तो वही साड़ी है ना जो मैंने तुम्हारे लिए बनारस से लेकर आया था।"
स्वेता बोलती है,"अरे हां जी हां ये वही साड़ी है जिसे मैं पहन कर पूरा दीपिका पादुकोण लगती हूं।"
पति पूछता है," अरे लेकिन आज ये साड़ी लेकर कहा चल दिए।"
स्वेता बोलती है," अरे टेलर के पास, अह मैं इसका सूट बनवाऊंगी।
पति बोलता है," सूट सिलवाना है तो कपड़ा ले लो ना, साड़ी क्यों बर्बाद कर रही हो वो भी बिल्कुल नई।

स्वेता पति की बात नहीं मानती और सीधे पहुंच जाती है टेलर के पास और बोलती है कि," भैया ये को साड़ी और मुशे दीवाली तक बना कर दे देना मूषे दीवाली पे पहनना है"
और ये कहकर चली जाती है

दीवाली के दिन

स्वेता साड़ी का सूट पहन अती है तो अंकिता बोलती है," अरे कितनी प्यारी थी साड़ी तेरी। उसका सूट बनवा लिया।"
स्वेता बोलती है,"है। वो में किया तो बनवा लिया।
अंकिता मशे लेकर बोलती है," मन किया या धेखा देखी कर लिया"
स्वेता गुस्से में बोलती है ," अरे देखा देखी क्यों, क्या मुझमें अकाल नहीं है , क्या मुझे ड्रेसिंग सेंस नहीं है।"

तभी अंकिता के सात खड़ी स्वेता बोल पड़ती है," अरे स्वेता ये तो बनारसी कपड़ा है। इसका सूट सवादानी से पहनना। इसकी सिलाई ना भूत जल्दी खिसकती है।"
लेकिन स्वेता कहा किसी की बात मानने वाली थी। वह जब देखी बघड़ने के लिए हाथ ऊपर किया , तो चर्र से सूट फटने की आवाज आई। 
तभी वहा की  की साड़ी औरते स्वेता पर हसने लगती है, और स्वेता  साइट भागकर अपने खर जाती है और रोने लगती है तो
 पति कहते है," मै यह नहीं समश पा रहा हूं कि जब तुम पार्टी में साड़ी पहन सकती थी तो सूट क्यों बनवाया।
स्वेता अपनी गलती कबूल करने कहती है,"मैंने अंकिता की नकल करके अच्छी खासी साड़ी को बर्बाद कर दिया। और नकल मेरी परेशानी का कारण बन गई। और सब के सामने बेझती भी ही गई।"
फिर पति समझाते हुए कहता है,"" नकल तो वो लोग कते है जिनमे अकाल नहीं होती है, और तुम तो मेरी पढ़ी लिखी बीवी हो है ना
पति के मुंह से तारीफ सुनकर स्वेता खूब ही जाती है और कभी नकल ना करने की कसम कहती है।